उजालों से डर लगता है
बेतरतीब और गफ़लत भरे ,खयालों से डर लगता है।
वक़्त के पूछे गए अजीबोगरीब, सवालों से डर लगता है।
अंधेरा ऐसा भी छा जाता है बदनसीबी का कभी,
कि अंधेरों से क्या कहें ,उजालों से डर लगता है।
– सिद्धार्थ गोरखपुरी
बेतरतीब और गफ़लत भरे ,खयालों से डर लगता है।
वक़्त के पूछे गए अजीबोगरीब, सवालों से डर लगता है।
अंधेरा ऐसा भी छा जाता है बदनसीबी का कभी,
कि अंधेरों से क्या कहें ,उजालों से डर लगता है।
– सिद्धार्थ गोरखपुरी