कर मुक्त द्वेष से खुदको
कर मुक्त द्वेष से खुदको, त्याग दे अपने अहम को।
मत कर रंग-रूप से भेद, दिल में प्रेम बीज को बो।।
कर निर्मल अपना मन, हटा के भेदभाव की भावना।
रक्षा कर तू मानवता की, बांध के डोर भाईचारे की।
छोटे-बड़े, गरीब-अमीर, तू लगा सभी को गले से।।
छोड़ कर मोह लोभ का, हटा दे आवरण स्वार्थ का।
मजहब से इंसां ना तोलकर, रख ऊपर इंसानियत।
ज्ञान पे अभिमान ना करके, बांट उस को सब में।।
“संसार का सबसे बड़ा धर्म है, प्यार और इंसानियत।”
– सुमन मीना (अदिति)