उकता कर हम ने ये काम कर दिया
उकता कर हम ने ये काम कर दिया
जो ख़ास थे उन को आम कर दिया
हम को नहीं आता पर्दे में गुनाह करना
जो भी किया हम ने सर-ए-आम कर दिया
ज़माने में बे-नक़ाब हुई असलियत उन की
वो कहते हैं उन्हें हम ने बद-नाम कर दिया
वो शख़्स तो नहीं था क़ाबिल-ए-इज़्ज़त
दौलत ने उसे काबिल-ए-एहतराम कर दिया
‘धरा’ बेबाक होती तो मशहूर शाइरा होती
शर्म-ओ-हया ने उस को गुम-नाम कर दिया
त्रिशिका श्रीवास्तव धरा
कानपुर (उत्तर प्रदेश)