ईश
??ईश??
हे! प्रभु हम सब बालक नादान
तू ही जाने सब तेरी महिमा?
जगत का तू ही पालन हार।
कण -कण में तू हे समाया
फिर मानुष काहे भरमाया
एक हवा का झोंका आए
तिनका सा ये तन उड़ जाए।
हे प्रभु—-
हाथ पे रखना हाथ ईश बस
जीवन की इक आस प्रभु बस
दुनिया में जब तक हम विचरे
तेरे नाम का सुमिरन विहरे
हे प्रभु हम—-
दिल न दुखे किसी का भूले से भी
चाहे जगत में भेजा,किसी कारण से ही
सत्य का साक्षात्कार कराता
निराशा के भव सागर से पार लगाता।
हे प्रभु हम—
धरती हो या अम्बर पर,
हे!हर जगह प्रभु की सत्ता
मानुष की हर सांस का
मन के हर तार का ज्ञाता।
तू अनंत है, हर उर में है वास तेरा
पल-पल तेरा नाम जपे,ऐ हृदय मेरा।
सुषमा सिंह “उर्मि,,