ईश बंदना
ईश बंदना
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मेरे आपकी दया से,सब काम हो रहें हैं,
तुम साथ हो प्रभु,सब दुख दूर हो रहें है।
विनती कंरू प्रभु,ध्यान तेरा है करती।
पल-पल गुरूवर, तुमको ही जपती।।
हे!करूणानिधान ,जगत के पालनहार,
लगाना मेरी नैया पार
तुम ही हो स्वामी खेवनहार।
तुम्हारे सिवा कोई न बांटे मेरी पीर।
दुख के बदरा छाए हुए
देख के उनको,नैनों में भर आवे नीर।।
हे!प्रभु मेरे उर में वास कर।
हरो मेरे कष्ट ईश
देख जगत का वीभत्स रूप,
सारी सृष्टि का अंधकार हर।।
ऐ दुनिया मायाजाल है,
छोड़ मोह का साथ।
प्रभु सुमिरन कर वन्दे,
थाम लो उसका हाथ।।
तेरा कुछ न मेरा कुछ,
सब यहीं रहजाना
फिर काहे मानुष भरमाया,
खाली हाथ ही आया,
खाली ही तुझको जाना।
राम नाम का सुमिरन करले,
यही साथ है जाना।
प्रभु वंदन से ही मानुष,
भव सागर से पार पाना।।
सुषमा सिंह *उर्मि,,