Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 Aug 2021 · 1 min read

ईश की बनाई दुनियाँ

ईश की बनाई दुनियाँ
प्रेम से सजाई दुनियाँ

सत्य की डगर चल न सकूँ
झूठ की सताई दुनियाँ

सबके मुख पर सबकी सी
क्यों करे बुराई दुनियाँ

जब खिले कमल हिरदय का
रंग प्रीत रगाई दुनियाँ

दस्तक दे वृद्धावस्था
हो रही पराई दुनियाँ

Language: Hindi
76 Likes · 1 Comment · 541 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from DR.MDHU TRIVEDI
View all
You may also like:
किसी भी काम में आपको मुश्किल तब लगती है जब आप किसी समस्या का
किसी भी काम में आपको मुश्किल तब लगती है जब आप किसी समस्या का
Rj Anand Prajapati
लोकतांत्रिक मूल्य एवं संवैधानिक अधिकार
लोकतांत्रिक मूल्य एवं संवैधानिक अधिकार
Shyam Sundar Subramanian
क़रार आये इन आँखों को तिरा दर्शन ज़रूरी है
क़रार आये इन आँखों को तिरा दर्शन ज़रूरी है
Sarfaraz Ahmed Aasee
ढलता वक्त
ढलता वक्त
प्रकाश जुयाल 'मुकेश'
वृंदावन की कुंज गलियां 💐
वृंदावन की कुंज गलियां 💐
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
एक दिवानी को हुआ, दीवाने  से  प्यार ।
एक दिवानी को हुआ, दीवाने से प्यार ।
sushil sarna
खुद का मनोबल बढ़ा कर रखना पड़ता है
खुद का मनोबल बढ़ा कर रखना पड़ता है
Ajit Kumar "Karn"
कागज़ पे वो शब्दों से बेहतर खेल पाते है,
कागज़ पे वो शब्दों से बेहतर खेल पाते है,
ओसमणी साहू 'ओश'
दोहे
दोहे
Sarla Sarla Singh "Snigdha "
चाहत
चाहत
Sûrëkhâ
संवेदना
संवेदना
नेताम आर सी
उधारी
उधारी
Sandeep Pande
मेरे मरने के बाद
मेरे मरने के बाद
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
रेत सी इंसान की जिंदगी हैं
रेत सी इंसान की जिंदगी हैं
Neeraj Agarwal
■ आज का शेर...
■ आज का शेर...
*प्रणय*
ये करुणा भी कितनी प्रणय है....!
ये करुणा भी कितनी प्रणय है....!
singh kunwar sarvendra vikram
" सन्देह "
Dr. Kishan tandon kranti
प्यार की कलियुगी परिभाषा
प्यार की कलियुगी परिभाषा
Mamta Singh Devaa
पहले जब तु पास् होती थी , तब दिल तुझे खोने से रोता था।
पहले जब तु पास् होती थी , तब दिल तुझे खोने से रोता था।
Nitesh Chauhan
ठुकरा के तुझे
ठुकरा के तुझे
Chitra Bisht
वक़्त के साथ
वक़्त के साथ
Dr fauzia Naseem shad
इक ही नहीं मुमकिन है ये के कई दफा निकले
इक ही नहीं मुमकिन है ये के कई दफा निकले
सिद्धार्थ गोरखपुरी
बस तू हीं नहीं मुझसे एक बेवफ़ा हुआ...
बस तू हीं नहीं मुझसे एक बेवफ़ा हुआ...
Shweta Soni
ख्वाहिश
ख्वाहिश
Omee Bhargava
हम किसी सरकार में नहीं हैं।
हम किसी सरकार में नहीं हैं।
Ranjeet kumar patre
2815. *पूर्णिका*
2815. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
*थियोसॉफिकल सोसायटी से मेरा संपर्क*
*थियोसॉफिकल सोसायटी से मेरा संपर्क*
Ravi Prakash
ख़ाली हाथ
ख़ाली हाथ
Shashi Mahajan
" मँगलमय नव-वर्ष-2024 "
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
जिंदगी का एक और अच्छा दिन,
जिंदगी का एक और अच्छा दिन,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
Loading...