ईश्वर
एक बार मुझसे यह प्रश्न किया गया कि क्या तुमने ईश्वर को देखा है ?
मैंने कहा हां मैंने उन्हें मासूम बच्चों की मुस्कुराहटों में देखा है।
तपती धूप में काम कर रहे किसानों और मजदूरों के पसीने में देखा है ।
गाय के छौनों के लिए दुलार में देखा है ।
अपने शिशु को सूखे में सुलाकर गीले में सोते मातृत्व में देखा है।
बुज़ुर्गों के अतःकरण से दिये आशीर्वाद में देखा है।
एक शिक्षक के अपने छात्रों के लिये किये अनथक प्रयास में देखा है।
माँ बाप का अपने बच्चों की उन्नति के लिये किये बलिदान में देखा है।
एक सच्चे गुरू का अपने शिष्य को दर्शन ज्ञान देकर उसका जीवन मार्ग प्रशस्त करने में देखा है।
अपना सब कुछ त्याग कर औरों के लिये समर्पित सेवा भाव में देखा है।
एक सच्चे मित्र के अपने साथी के प्रति अटूट विश्वास और किये त्याग एवं बलिदान में देखा है।
ईश्वर तो सर्वव्यापी है उसे देखने के लिये प्रज्ञाशील भावना आवश्यक है।
अन्यथा सम्पूर्ण जीवन उसकी खोज में व्यर्थ नष्ट करते लोगों को मैने देखा हैं।