ईश्वर
शीर्षक – ईश्वर
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जिंदगी भी बस तेरी चौखट के साथ हैं।
ऊपर वाले तू ही जगत का पालनहार है।
दो पैसे कम ज्यादा ही मानव का सच हैं।
सांसों के साथ नाम तेरा ही अनमोल हैं।
न तेरा न मेरा बस हम समझे संग तेरा हैं।
सोच और समझ के साथ खुशियां साथ हैं।
कुदरत ने अमीर गरीब रंक राजा ने सोचा हैं।
तेरे दर पर भिखारी सभी कुछ बाहर बैठे हैं।
अंदर और अंतर मन भावों के साथ हम हैं।
ईश्वर कुदरत भगवान कृपा निधान नाम हैं।
हां सच और झूठ का अंतर कर्म फल हैं।
ईश्वर भक्ति और श्रृद्धा का जप करते हैं।
तेरे विश्वास का हम सभी जीवन मानते हैं।
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नीरज अग्रवाल चंदौसी उ.प्र