*** ईश्वर की धर्मशाला ***
यह संसार
ईश्वर की धर्मशाला है
जब चाहे तब
खाली करा सकता है
हम इसे कब से
अपना घर माने बैठे हैं
किरायेदार भी कभी
मालिक हुआ है
मालिक तो मालिक होता है
किरायेदार कभी
मालिक नहीं हुआ करते ।।
?मधुप बैरागी
मुक्तक
ख़्वाब ऐसे कातिलों से गुजर रहे हैं
वो हमारे होने से जो मुकर रहे हैं
कल ईद है दीद उनका हो ना हो
स्वप्न हमारे कत्ल जो ऐसे हो रहे हैं ।।
?मधुप बैरागी