ईश्वर कहो या खुदा
तूने जो ईश्वर में देखा, वही उसने खुदा में पाया,
तूने जो आरती में देखा, वही उसने नमाज में पाया,
तूने जो घण्टी शंख में देखा, वही उसने अज़ान में पाया,
तूने जो मंदिर, मूर्ति में देखा, वही उसने मस्जिद मुसल्ले में पाया,
तूने होली दिवाली मनाई, उसने गले मिलकर ईद मनाया,
तूने जो वेद पुराण में देखा, वही उसने हदीस, कुरान में पाया,
तूने जो राम कृष्ण में देखा वही उसने हजरत मोहम्म में पाया,
ना तूने आँखों से ब्रह्म को देखा, ना उसने आँखों के आगे खुदा को पाया,
तेरे स्वर्ग नरक का चक्कर, वही उसने जन्नत जहन्नुम में पाया,
तुझे स्वर्ग में अप्सराएं मिली, उसने जन्नत में हूरों को पाया,
ना ईश्वर तुझे हँसते हुए लाया, ना खुदा उसे हँसते हुए ले जाएगा,
तू भी रोया वो भी रोया, माँ की गोद में दोनों ने सुकून पाया,
फिर कौन बड़ा है कौन है छोटा, क्या सच्चा है क्या है धोखा,
जो तूने देखा वही उसने देखा जो तूने पाया वही उसने पाया ।।
prAstya……(प्रशांत सोलंकी)