ईश्वरीय प्रेरणा के पुरुषार्थ
भारत की आजादी के अमृत महोत्सव
ईश्वरीय प्रेरणा का पुरुषार्थ विज्ञान—
1-विज्ञान कलाम का कमाल—-
तमिलनाड में समुद्र के किनारे रामेश्वरम यहां अत्यंत ही साधारण परिवार में पंद्रह अट्यूबर सन ऊँन्नीस सौ इकत्तीस को माँ भारती का स्वाभिमान और आधुनिक भारत की पहचान स्थापित करने वाले बालक का जन्म हुआ माँ बाप ने बड़े प्यार से इस नवजात का नाम रखा अबुल पकिर ज़ैनुद्दीन अबुल कलाम घर की स्थिति बहुत अच्छी न होने पर भी कलाम ने शिक्षा के प्रति अपनी दृढ़ता से आगे बढ़ते पढ़ते गए और मद्रास इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से एरोनॉटिम्स इंजीनियरिंग में स्नातक की डिग्री हासिल किया वर्ष 1958 में भारतीय रक्षा अनुसंथान में कार्य करना शुरू किया वर्ष 1969 में इसरो में चले गए एस एल वी तीन के प्रभरी के तौर पर महत्वपूर्ण दायित्व का निर्वहन किया 1982 से भारतीय रक्षा के लिये मिसाइलों की लंबी श्रृंखला पर कार्य किया और भारत को रक्षा के क्षेत्र में आत्म निर्भर बनाया 1992 से ऊँन्नीस सौ सत्तानवे तक भारत के रक्षा मंत्री के रक्षा सलाहकार नियुकि हुये कलाम साहब को उनके अति महत्वपूर्ण योगदान के लिये भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न भारत सरकार द्वारा दिया गया पदम् विभूषण ,होविर मेडल ,एव वीर साँवरकर अवार्ड भारत के इस महान बीर सपूत के लिये पुरस्कार भी स्वयं में सम्मानित होते इतने अधिक पुरस्कार एव सम्मान प्राप्त हुये कलाम साहब को की उनको सूचीबद्ध कर पाना सम्भव नही है अंतत कलाम साहब को राष्ट्र ने राष्ट्र के सबसे बड़े पद राष्ट्रपति से स्वय को गौरवान्वित किया ।कलाम साहब वैज्ञानिक के साथ साथ विद्वता की समग्रता थे उन्होंने ऐसे मिशाल कायम किया जो भारत के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में अंकित कर स्वय को अभिमानित किया है कलाम साहब एक सच्चे इस्लाम के अनुयायी थे किंतु उनको किसी ने कभी नवाज पढ़ते नही देखा उनके कार्यकाल में कभी भी राष्ट्रपति भवन में रोजा के दौरान कोई इफ्तार पार्टी नही हुई सादगी के जीते जागते ऐसे व्यक्तित्व की जब राष्ट्रपति भवन आये तो उनके पास किताबे और खुद के कपड़ो के अतिरिक्त कुछ नही था और जब उन्होंने राष्ट्रपति भवन छोड़ा तब भी उनके पास सिर्फ यही वस्तुये थी हिन्दू धर्म ग्रंथो का भी उन्होंने बहुत बारीकी से अध्ययन किया था।।
कलाम साहब नौजवानों के लिये विजन ट्वेंटी ट्वेंटी राष्ट्र के समक्ष रखा और सदैव अध्ययन अध्यापन में स्वय को जीवंत रखा और अंत काल भी शिलांग में वह अपने निरंतरता को जीवंत रखा कलाम साहब के विषय मे तरह तरह से बहुत कुछ लिखा जा चुका है मैं सिर्फ इतना ही लिखता हूँ कि कलाम जौसे कमाल के व्यक्तित्व विरले ही आते है और समय काल को अपनी पहचान की परिभाषा से मानवता विज्ञान को नई परिभाषा से परिभाषित कर जाते है।।
2- विन्देश्वरी प्रसाद पाठक—
बिहार भारत की गौरवशाली गाथा इतिहास का स्वाभिमान बिहार एक ऐसी पवन भूमि है जहाँ धर्म,ज्ञान ,बिज्ञान सामाजिक सरोकार के साथ साथ संमजिक जागरण चेतना के अनेको सकारात्मक संदेश राष्ट्र को दिये है चंद्रगुप्त मौर्य की राष्ट्र एकता का शंखनाद तो बुद्ध की ज्ञान की भूमि बोध गया समग्र क्रांति के आगाज अंदाज के लिये एव अपनी विविधताओं के लिये सम्पूर्ण राष्ट्र अंतर राष्ट्र को सार्थक संदेश सदैव देता रहा है और देता रहेगा बिहार का ही जनपद रामपुर जहाँ दो अप्रैल ऊँन्नीस सौ तैतालिस को एक साधारण ब्राह्मण परिवार में एक बालक का जन्म हुआ बचपन से ही खोजी प्रबृत्ति का यह बालक साधारण में असाधारण था ।
माँ बाप ने बड़े प्यार से नाम रखा विदेश्वरी पाठक परिवार का होनहार और तेजश्वी बालक कुछ करने की तमन्ना के जोश जज्बे का नौजवान गम्भीर और अन्वेषी प्रबृत्ति के कारण साथ ही साथ मिलनसार और संकल्पित वर्ष ऊँन्नीस सौ चौसठ में स्नातक की डिग्री हासिल किया और सन ऊँन्नीस सौ सत्तर में सुलभ इंटरनेशनल गैर सरकारी संस्था की स्थापना किया और स्वच्छता मिशन की शुरुआत किया साथ ही साथ वैकल्पिक ऊर्जा के क्षेत्र में कार्य करना शुरू किया सुलभ इंटरनेशनल के द्वारा सार्वजनिक शौचालय का निर्माण एव उससे वैकल्पिक ऊर्जा प्रबंधन के लिये कार्य करना शुरू किया बिहार से शुलभ इंटरनेशनल ने बंगाल फिर समूर्ण देश मे सार्वजनिक शौचालय का जाल बिछाया पुनः सन ऊँन्नीस सौ अस्सी में स्नातकोत्तर की डिग्री संमजिक विज्ञान एव ऊँन्नीस सौ छियासी में अंग्रेजी में स्नातकोत्तर डिग्री हासिल किया ऊँन्नीस सौ सरसठ में मध्यमा गांधी जन्म शताब्दी समिति के सदस्य बने विन्देश्वरी पाठक को उनके अभूतपूर्व कार्य के लिये अनेको पुरस्कार राष्ट्रीय अंतर राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कारों से नवाजा गया
वर्ष 1991 में पदम् भूषण ,वर्ष 2003 में देश के 500 विशिष्ट व्यक्तियों की सूची में सम्मिलित इसके अतिरिक्त एनर्जी ग्लोबल एवार्ड ,इंदिरा गांधी प्राइज ,स्टॉक होम वाटर प्राइज,पर्यावरण के लिये प्रियदर्शिनी प्राइज ,दुबई इंटरनेशनल प्राइज ,एनर्जी रिनेअबल प्राइज आदि अनेको विशेष है विन्देश्वरी पाठक जी एक ऐसा व्यक्तित्व है जिन्होंने विज्ञान विषय से अध्ययन नही किया लेकिन विज्ञान को जन साधरण की सोच समझ और खोज के दायरे में परिभाषित करने का अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया जो साधारण व्यक्ति के साहस संकल्प का वैज्ञानिक दृष्टिकोण है विज्ञान मानवता और मानवीय मूल्यों की सकारात्मकता की परिधि में परिभाषित और पराक्रम की पहुंच में प्रमाणित करने का जो असाधरण कार्य अपने जीवन दर्शन से प्रस्तुत किया वास्तव में वह अपने आप मे महत्वपूर्ण तो हैं ही विज्ञान ब्रह्मांड प्रकृति और प्राणि को एकात्म वैज्ञानिक दृष्टिकोण देने का कार्य किया साथ ही साथ लाखो बेरोजगार को रोजगार सुलभ इंटरनेशनल के माध्यम से उपलब्ध कराकर परोक्ष एव प्रत्यक्ष रूप से विज्ञान के महत्व को प्रमाणित किया।।
कलाम साहब और विंदवेशरी पाठक विज्ञान और व्यक्तित्व के परिपेक्ष्य में तुलना नही है बल्कि आर्के मिडीज और न्यूटन के विज्ञान और वैज्ञानिक चिंतन की धरातल और पृष्टभूमि पर दोनों के बैज्ञानिक सोच चिंतन शीलता के यथार्थ का आजके परिपेक्ष्य में प्रस्तुत करना है वास्तव में विज्ञान मनुष्य की चिन्ताशीलता और उसके धैर्य की धरातल की परख पहचान की वास्तविकता है विंदवेशरी पाठक जी ने आम मानवीय अवधारणा में विज्ञान वैज्ञानिक चिन्ताशीलता को पर्यावरण वैकल्पिक ऊर्जा और प्रकृति प्राणि के
संस्कार की संस्कृति को निरूपित किया है तो कलाम साहब ने विज्ञान को मानवता के विजय मौलिक मूल्यों की आवनी अम्बर पर साहस दृढ़ता सादगी संयम संकल्प के सिंद्धान्त पर प्रमाणित करने की मौलिकता का निरूपण किया है कलाम साहब वैज्ञानिक से विज्ञान को खोजते है तो विंदवेशरी पाठक जी आम इंसान की दृष्टि से विज्ञान का दिग्दर्शन करते है संसार मे जितने भी आविष्कार हुए है
चाहे जेम्स वाट ,मार्कोनी ,जॉन लाजी बेयर्ड ,अल्वर्ड आईन्टीन ,मैडम क्यूरी ,फेड्रिक व्होलर,नोबल डायनामाइट,एंडरसन सबने मानवीय मूल्यों में विज्ञान एव वैज्ञानिक के दायित्व कर्तव्य बोध का मर्म धर्म प्रमाणित कर समय काल को एक नई परिभाषा दी विज्ञान चमत्कार नही ईश्वरीय रहस्य को ईश्वरीय प्रेरणा के पुरुषार्थ आत्म बोध का चर्मोत्कर्ष ही कहा जाना चाहिये ।।
कहानीकार –नंदलाल मणि त्रिपाठी पीतांबर गोरखपुर उत्तर प्रदेश