ईश्क अतरंगी
रंग तेरे चहरें का जो लाल है
वो मेरा ईश्क ए गुलाल है
जो हो जाये ये गुलाबी
बिन पिये ही हो जाऊ शराबी
पीला तो क्या खुब जचता है
मन तेरे लिये ही मचलता है
हरा भी तुझ पर सुनहरा है
बस तुझ पर ही दिल ठहरा है
सब रंगो में तु सतरंगी है
तु मेरा ईश्क अतरंगी है।