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30 Aug 2024 · 1 min read

**ईमान भी बिकता है**

**ईमान भी बिकता है**
*******************

इंसान भी बिकता है,
ईमान भी बिकता है।

मंदिर-मस्ज़िद-गिरजा में,
भगवान भी बिकता है।

कलयुग ज़माने में अब,
धनवान भी बिकता है।

कमज़ोर को तो छोड़ो,
बलवान भी बिकता है।

सच को सिद्ध करने में,
परवान भी बिकता है।

इस काठ की मंडी में,
तरखान भी बिकता है।

क़ाबिल नहीं मनसीरत,
दरबान भी बिकता है।
*******************
सुखविन्द्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

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