ईद
एक शेर है कि
तुझ को मेरी न मुझे तेरी ख़बर जाएगी
ईद अब के भी दबे पाँव गुज़र जाएगी
लेकिन
मैं कहता हूं कि
ईद पर क्या हुआ जो गले न मिलेंगे
हमारे दिलों में प्यार है, दूर से भी खिलेंगे।
सुहाना, तुझे ईद का त्यौहार मुबारक
दूर होगी मुश्किलें, दोबारा जल्द मिलेंगे।
जगह की दूरियाँ, हमे क्या दूर करेंगी
हम दूर से भी, पास पास होकर मिलेंगे।
नेकी हो भाई चारा, न दूरियां मन की
मिलकर हम एक नया गीत लिखेंगे।
मुक्कमल तेरी इबादत होकर रहेगी
हम मिलकर तेरे लिए यह दुआ करेंगे।