— ईद मुबारक ? —
लिखना नहीं चाहता था
पर लिखने से खुद को रोक न सका
मेरे देश में कोई गलत कहे
और सुन के शांत हो जाऊं
ऐसा कभी में कर न सका
जग जाहिर है , सब जानते हैं
भारत में रहने वाले
भारत के खिलाफ कह जाते
उनको प्रेम है पाकिस्तान से
फिर वो यहाँ से क्यूँ नहीं जाते
क्यूँ करते हैं गद्दारी ??
क्यूँ नहीं करते देश के साथ खुद्दारी ??
जन्मे यहाँ, पले यहाँ, खाया यहाँ
जीवन गुजार रहे हैं यहाँ
फिर उनके मन क्यूँ शैतानी से भरे ?
जहाँ रह रहे , उस धरती का कर्ज चुका नहीं सकोगे।।
खुश किस्मत हो फिर पैदा हो न सकोगे
प्रेम करो, खुद्दारी करो , जिओ और जीने दो
मरने के बाद उप्पर वाले से नजर मिला न सकोगे।
अजीत कुमार तलवार
मेरठ