*** ईद की पूर्व संध्या पर *****
मैंने
ईद की पूर्व
सन्ध्या पर
चाँद को देखा
होले होले मेरे
घर की छत पर
अपनी मद्धिम
रोशनी के
माध्यम से
उतरते हुए
चुपके से
ना जाने
मेरे स्वप्न में
आकर
चला गया
सुबह मेरी
आँख खुली
तो कुछ भी
नज़र नही आया
मैंने बहुत ढूंढा
चाँद को
कहीं भीउसका
पता ना चला
बाद में
तसल्ली से
मैंने सोचा
तो पता चला
ईद का चाँद
मुझको
छलकर
चला गया ।
?मधुप बैरागी