ईद की ख़ुशी
वो कहते हैं कि जब वो हमारे होली दिवाली पर ख़ुशी नहीं मनाते,
तो तुम्हें क्या गर्ज कि ईद की ख़ुशी मनाने का नशा चढ़ गया है ।
हमारे लिए त्यौहार कुछ नहीं बस ख़ुशी मनाने का मौका है,
हमारी तो ख़ुशी में एक और नगीना जड़ गया है ।।
जब हमारे करवाचौथ के चाँद का इंतज़ार,
भले ईद के नाम से, वो भी करते हैं तो ख़ुशी होती है।
नाम भले कुछ भी हो, पर उपवास,
वो भी करते हैं तो ख़ुशी होती है।
दीवाली तो जब आएगी, तब आ ही जायेगी,
वही दीवाली वाली ख़ुशी, जब किसी के चेहरे पर दिखती है, तो ख़ुशी होती है ।
माँ को चाँद को देखकर, व्रत खोलते देखा हमने,
किसी को रोज़े के बाद इफ्तारी करते देखते हैं, तो ख़ुशी होती है।
होली पर हम गले मिलकर गिले-शिकवे मिटा देते हैं,
उनको भी जब गले मिलते देखते हैं, तो ख़ुशी होती है।
माता का रूप बनकर बेटियां कंजक लेने जाती हैं, सुन्दर लगती हैं,
छोटे-छोटे बच्चों को जब ईदी लेते देखते हैं, तो ख़ुशी होती है ।
वो राम को नहीं, रहीम को ही सही,
चाहे भगवान को नहीं, पर ईमान को मानते हैं, तो ख़ुशी होती है ।
नबी, मोहम्मद, अल्लाह को तो मानते हैं,
भले नवरात्र को नहीं, पर रमज़ान को मानते हैं, तो ख़ुशी होती है।
————–शैंकी भाटिया
जुलाई 7, 2016