ईदी
रोहित के चेहरे पर हवाइयां उड़ी हुई थी बहुत ही परेशानी की अवस्था में अस्पताल में चहल कदमी कर रहा था । कुछ देर पहले ही मां की तबीयत अचानक बिगड़ने लगी , और बेहोश होकर गिर पड़ी ।तुरंत ही अस्पताल लेकर आया टेस्ट वगैरह हुए और आपरेशन के लिए पांच लाख दो दिन में जमा करवाने को कहा गया अन्यथा तबियत ज्यादा बिगड़ने के चांस थे ।
हिसाब लगा कर देखा एफ डी वगैरह मिला कर उसके व पापा के एकाउंट सभी मिला कर तीन लाख का ही इंतज़ाम हुआ जो उसने जमा करवा दिए थे दो लाख और कहा से आएंगे यही उसकी परेशानी का सबब था।
तभी पता चलते ही अनीस भी आ गया। रोहित का बेस्ट फ्रेंड था अनीस , पर रोहित ने उसे कुछ नहीं बताया । क्योंकि दूसरे दिन ईद थी इसलिए नहीं चाहता था की अनीस परेशान हो । अनीस ने उसे कल ईद पर आने की दावत दी तो रोहित ने कहा तुझे तो पता है मां की हालत शायद ही आ पाऊंगा ।यदि ठीक रहा तो आने की कोशिश करुंगा । अनीस चला गया । मां की हालत भी स्थिर थी । रात भर अस्पताल में रहने के पश्चात पापा वहां थे तब घर आया तैयार होकर अनीस के घर चला गया क्योंकि अंकल आंटी भी उसे बेटे की तरह ही मानते थे और हर साल ईद पर वह जरुर जाता था सभी ने मां की तबीयत के विषय में जानकारी ली । फिर आंटी सेवाइयां लेकर आ गई । सेवाइयां खाकर रोहित बोला आंटी मेरी ईदी आंटी ने अंकल से कहा रोहित को ईदी दीजिए हां देता हूं जेब से एक पैकेट निकाला और रोहित के हाथों में रख दिया रोहित को हर साल ईदी में सौ रुपये का कड़कड़ाता नोट मिलता था पर पैकेट देख आश्चर्य
पुछा ये क्या है अंकल ये तुम्हारी ईदी ही है बेटा रोहित ने खोलकर देखा दो हजार के नोटों की गड्डी थी । तुम्हारी मां के इलाज के लिए रख लो और जरुरत हो तो और ले लेना । रोहित की आंखों में आंसू भर आए अंकल ने उसे गले से लगा लिया ।अनीस भी उसे गले लगा कर बोला मुझे पता था तू मुझसे कहेगा नहीं इसलिए काउंटर से मैंने पता लगा लिया था ।चल अब रोना बंद कर और जाकर रुपए जमा करा दे।घबरा मत सब ठीक होगा अभी कुछ लोग और आने वाले हैं उनसे मिल कर मैं भी अस्पताल आता हूं । रोहित अस्पताल की ओर रवाना हो गया रोहित सोच रहा था क्या आज की ईदी वह जिंदगी भर भूल पाएगा ।
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© गौतम जैन ®