इस होली पे नए रंग मिला देना
इस होली पे नए रंग मिला देना
उस लड़की को महामारी का गुलाबी रंग कहने में शर्म न आये।
तुम इस मानसिकता को खत्म करने का गुलाल ला देना ।
इस होली पे नए रंग मिला देना।
हरे रंग को मस्जिद के, लाल रंग को मंदिर के बंधनों से छुड़ा देना।
सफेद रंग दुनिया का करके ,सबको शांत ,एक जैसा प्रेम प्रिय बना देना ।
इस होली पे नए रंग मिला देना।
जगते-बुझते गरीबों के नीले रंग को ,
उम्मीदों के गुलाल भरे हाथ, बढ़ा देना
भेदभाव के काले रंग को ,
पीली किरणों के रंग से दूर कहीं छुपा देना
इस होली पे नए रंग मिला देना ।
शिक्षा और पढ़ने की इच्छा के कुछ रंग ,
जो आसानी से ना छूटे
तुम ऐसा कोई पक्का रंग, गालों पर लगा देना ।
इस होली पे नए रंग मिला देना ।
इस युग के बाल मजदूरों को पहलाद की तरह,
जलती अग्नि से बचा लेना।
लालच रोग पर जो मरहम बने,
ऐसी इमानदारी, भक्ति, निष्ठा का रंग माथे सजा देना।
इस होली पे नए रंग मिला देना ।
दहेज प्रथा बंद कर ,समाज की क्रूर पूतना को जला देना ।
हर बाल वृद्ध नारी सुखी रहे ,
तुम आनंद का रंग पृथ्वी पर बिखरा देना ।
इस होली पे नए रंग मिला देना
इस होली पे नए रंग मिला देना ।
हर्ष मालवीय
बीकॉम कंप्यूटर अंतिम वर्ष छात्र
शासकीय हमीदिया कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय
बरकतउल्ला यूनिवर्सिटी
भोपाल