इस होली पर चुनरी लाना
सुनो,
मुझे फर्क नहीं पड़ता,
कि लोग क्या कहेंगे,
तुम तो ले ही आना,
इस होली पर,
अपने प्रेम रंग रंगी,
चटक सी चुनरी,
जिसे ओढ़कर,
थोड़ा सुकून पा जाऊँ,
छलनी करती निगाहों से,
बेफिक्र हो जाऊं,
न जाने कितने युगों से,
इंतजार था तुम्हारा,
मेरी उदास आंखे,
पूछती थीं ,
पलाश के फूलों से,
मेरे हिस्से का रंग,
कहाँ बन रहा है,
कौन भर रहा है,
मेरे लिये पिचकारी,
इस बार मुझे भी,
खेलनी है होली,
तुम चुनरी जरूर लाना।