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10 Apr 2023 · 1 min read

“इस हथेली को भी बस

“इस हथेली को भी बस
उस पीठ की पहचान थी।
जिस पे थप्पी मार कर
हौले से खो देता था मैं।।”

◆प्रणय प्रभात◆

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