इस शहर में क़याम बाकी है
इस शहर में क़याम बाकी है
कुछ अधूरा सा काम बाकी है
गुफ़्तगू सबसे हो गयी मेरी
सिर्फ उनका सलाम बाकी है
इक शजर पे बहार आयी है
दिल का सहरा तमाम बाकी है
आज वो बेनक़ाब आएंगे
हाय ये क़त्ले आम बाकी है
झूठ का सच से सामना होगा
इश्क़ में वो मकाम बाकी है
बेवफा पे हिजाब रखना है
यूँ वफ़ा का कलाम बाकी है
यूँ न उठने की ज़िद करो अब तुम
रात बाकी है जाम बाकी है