इस महल के दरो दीवार को
इस महल के
दरो दीवार को सजाये जा रहे हो
कभी खुद के दिल का और
आत्मा का भी
श्रृंगार करो
उन्हें जीते जी कभी
संवार लो
साथ जिसे चलना है
मरने के बाद भी
तुम्हारे
उसकी तरफ भी तो कभी
थोड़ा सा ध्यान दो
उसे मान दो
सम्मान दो
वक्त कम है और
उसे जाया करते हो तुम बहुत
बेमतलब की चीजों और बातों में
पंछी हो तुम आसमान के
न कि इस जमीन के पेड़ के किसी
डाल के
इसे छोड़कर एक दिन तुम्हें उड़कर दूर
जाना ही पड़ेगा फिर क्यों सारे दिन
इस पेड़ की लताओं के केशों को
संवारते हो।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001