इस भीड़ में।
मुझे इस भीड़ में, कोई बंधु नजर न आता है। कोई है अमृत, तो कोई जहर नजर आता है।अपने अपने स्वार्थ को लेकर भागा जाता है। मुझे इस भीड़ में सत्य नजर न आता है।बेइमानी के पुलनदो का ढेर नजर आता है।अब कहां जाऊं कोई डगर नजर न आता है। मुझे इस भीड़ में शैतान नजर आता है।कहता है कुछ, और करता है कुछ करनी कथनी में अंतर नजर आता है।