इस बार होली में
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भरी हों नेमतें खुशियों की अब हर एक झोली में
करें हम बैर औ नाराज़गी रुखसत अब डोली में।
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चलाओ आज पिचकारी अनोखे प्रेम रंगों की
सजा डालो सबों को आज नेहों की रंगोली में।
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मिसालें प्रेम की कायम करो कुछ इस तरह यारों
भुला दो नफरतें मन की सभी इस बार होली में।
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गुलालें प्यार की हों और हों रंगे मुहब्बत भी
भरो तुम प्रेम के हर रंग की फुहार बोली में।
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भुला कर बैर आपस का गले मिल झूम कर नाचो
करो सब धूम मस्ती होली की हुडदंग टोली में।
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रंजना माथुर
अजमेर (राजस्थान )
मेरी स्व रचित व मौलिक रचना
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