इस बार की दिवाली
आओ इस बार भी दिवाली मनाएँ,
फैली है चहुँओर निराशा,चलो आशा का नवदीप जलाएँ,
विदेशी झालर, चाइनीज़ लैम्प भले न ख़रीदने जाएँ,
मिट्टी के दियों में प्रेम की ज्योत जगाएँ,
नन्ही गुड़िया के पापा अस्पताल में भर्ती हैं,
चलो उसे कुछ फुलझड़ियाँ दे आएँ,
इस बार कुछ एैसी भी दिवाली मनाएँ ।
आओ इस बार भी दीवाली मनाएँ ।
महामारी ने इस वर्ष कई घरों में मातम बिखेरा है,
बिखरे हैं कई स्वप्न ,कई दिलों में अंधेरा है,
चलो बिखरे स्वप्नों को फिर समेट लाएँ,
दूर गॉंव में एक बूढ़ी मॉं तक
बेटे की चिट्ठी पहुँचाएँ,
पत्नी एक फोन के इंतज़ार में बैठी है,
चलो उसे फोन में पति का चेहरा दिखाएँ,
इस बार कुछ एैसी भी दिवाली मनाएँ ।
आओ इस बार भी दिवाली मनाएँ ।
लक्ष्मी का पूजन कर ,ख़ुशियों की रंगोली बनाएँ,
मीठे का थाल सजाकर, द्वार द्वार तोरण लटकाएँ,
तरसती होगी कोई राधा श्याम को, कोई कौशल्या राम को,
चलो इस बार किसी राधा के श्याम,किसी कौशल्या के राम हो जाएँ,
आओ इस बार भी दिवाली मनाएँ ।
चलो ना इस बार भी दिवाली मनाएँ ।।