*इस धरा पर सृष्टि का, कण-कण तुम्हें आभार है (गीत)*
इस धरा पर सृष्टि का, कण-कण तुम्हें आभार है (गीत)
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इस धरा पर सृष्टि का, कण-कण तुम्हें आभार है
1)
पॉंच तत्वों से बनी इस, देह में प्रभु-नाद है
दिव्य सॉंसों की सुरभि से, मिल रहा आह्लाद है
देह में आत्मा तुम्हें, वंदन सहस्त्रों बार है
2)
माता-पिता गुरुदेव ने, ज्ञान सब मुझको दिया
पास मेरे जो सभी है, राह में मैंने लिया
नेह के संबंध का, मुझ पर अपरिमित भार है
3)
पेड़ पौधे फूल पत्ती, मोहते मन को रहे
आनंदप्रद मौसम सदा, जिंदगी में धन रहे
पक्षियों का भोर में, मधुमय मिला उद्गार है
इस धरा पर सृष्टि का, कण-कण तुम्हें आभार है
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451