इस दीवाली देखा हमने
इस दीवाली देखा हमने,
स्नेह की बाती से दीप जले।
कोने कोने से भी भगाया,
तम जो छुपा था चिराग तले।
खूब खिलाई हलवा पूड़ी,
मिष्ठान भी खूब चले।
महंगा रहा है तेल तो क्या,
हर घर जगमग दीप जले।
शोर पटाखों की कम पाई,
चकचौंध में दिन भी ढले।
पाया खुश कुम्हार को मैंने,
कि दीये बेच अरमान फ़ले।
जीव दयाकर सबने खाया,
खीर मलाई पुए पूड़ी।
अंतर्मन से माँ को पूजा,
मुख में राम बगल ना छुड़ी।
देखा हमने गले गलाते,
बिछड़े भाई भाई को।
शीश झुका कुटिल बहुओं ने,
पाँव पूजा सासु माई को।
पाया वृद्धजनोँ को हमने,
नहीं हाँफते धुएं से।
घर परिवार मगन हो झूमा,
दूध मलाई पुए से।
हर्षित पुलकित मन मैं पाया,
टुनटुन पूजा की घंटी से।
शंख ध्वनि से रोग भगाया,
धूप व तुलसी कंठी से।
मन अशोक यही कहता है,
ऐसे ही सब त्योहार मिलें।
सब दुःख दूर होय धरा से,
सब आपस में हिले मिलें।
**********************
अशोक शर्मा,कुशीनगर,उ.प्र.
**********************