इस दिल में इक सैलाब छुपा रखा है
मैंने आँखों में इक अंदाज़ छुपा रखा है,
अपने होठों पर इक राज़ छुपा रखा है।
ऐ दोस्त यूँ न कुरेदो मुझे,
मैंने इस दिल में इक सैलाब छुपा रखा है।।
ये समंदर भी कम पड़ जाएगा बुझाने को,
मैंने सीने में वो आग छुपा रखा है।।
यूँ उभारोगे तो निकल आएगा एक-एक धागा इसका,
ढँकने को किसी गरीब की इज़्ज़त,
एक लिबास छुपा रखा है।
ऐ सनम तेरे आने का ताउम्र रहेगा इंतेज़ार मुझे,
यूँ ही नहीं इस दिल में तेरे प्यार का अहसास छुपा रखा है।।
ऐ दोस्त यूँ न कुरेदो मुझे,
मैंने इस दिल में इक सैलाब छुपा रखा है।।