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30 Jan 2022 · 1 min read

इस कदर छा गए

***इस कदर छा गए***
*******************

वो इस कदर हैं छा गए,
तन-मन भवन में भा गए।

जो तुम मिले साजन हमें,
आँसू ख़ुशी के आ गए।

जीवन हुआ रंगीन सा,
सावन झड़ी तुम ला गए।

सरगम सुनी सुर से भरी,
नग़मे – तराने गा गए।

था यार मनसीरत खड़ा,
झट देखकर शरमा गए।
*******************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

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