” इसे लाज कह दें ” !!
ग़ज़ल / गीतिका
ज़रा समय ठहरे , चलो आज कह दें !
छिपाये कभी जो , सभी राज़ कह दें !!
तुम्हारी खरीदी , हमारे बिके हैं !!
अनायास हम पर , गिरी गाज कह दें !!
चमन में बहारें , गगन चाँद चमका !
अगर खिलखिला दे , तुझे ताज कह दें !!
तुम्हारी गली में , कहाँ दीद पाई !
नज़र जो झुकाई , इसे नाज़ कह दें !!
चुनरिया उड़ी तो , तुम्हारी खता क्या !
हुऐ लाल डोरे , इसे लाज कह दें !!
तराने मधुर से , लबों पर सजे हैं !
धड़क है दिलों की , इसे साज कह दें !
तुम्हारा चहकना , किसे रास आया !
जगत है लुटेरा , इसे बाज़ कह दें !!
स्वरचित / रचियता :
बृज व्यास
शाजापुर ( मध्यप्रदेश )