इसे बुढ़ापा कहते हैं…
रूप गया ,
शक्ति गई ,
हुआ बुद्धि का भी ह्वास ।
ह्रदय हुआ कमजोर ,
अन्य शारीरिक तंत्र भी हुए कमज़ोर ,
दृष्टि भी रही नही कुछ खास ।
मगर आत्म है जब तक जर्जर तन में ,
इच्छाशक्ति प्रबल है मन में।
कामनाओं का न हो पाया नाश।
समय है यह प्रभु को याद करने का ,
दौलत बहुत कमा ली,अब समय है,
अपने पुण्य कमाने का ।
अपने शेष जीवन के लिए किया जाए कुछ खास ।
मगर कहां ! अब भी कुछ और सुख भोगने की
लालसा है मन में।
मन और बुद्धि अनुरक्त है भोग विलास में ।
यह है वो आयु जिसे बचपन और जवानी का मिलन
कहते हैं।
इसे बुढ़ापा कहते हैं ।