इसे त्यौहार कहते हैं (मुक्तक)
इसे त्यौहार कहते हैं (मुक्तक)
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गगन में चाँद मुस्काया इसे त्यौहार कहते हैं
घना कोहरा सुबह छाया इसे त्यौहार कहते हैं
दिखे कुछ फूल चटकीले हरी कुछ पत्तियाँ महकीं
गरम कप चाय का आया इसे त्यौहार कहते हैं
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451