इसी से सद्आत्मिक -आनंदमय आकर्ष हूँ
छोड़ कर जग-द्वंद, मैं शुभ मुहब्बत गह हर्ष हूँ ।
दिल गलाऊँ ,मोमबत्ती-सम जलूँ , आदर्श हूँ ।
हिंद पावन औ सदा ही प्यारमय अतिशय सघन
इसी से सद् आत्मिक-आनंदमय आकर्ष हूँ।
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बृजेश कुमार नायक
जागा हिंदुस्तान चाहिए एवं क्रौंच सुऋषि आलोक कृतियों के प्रणेता