इसकी आंखों के दो दीये
बस इसकी आंखों के तो
दो दीये
रोशनी से भरे
सितारों से टिमटिमाते
रहते हैं
मुंह से कुछ बोलती नहीं
सारी उम्र बीत गई पर
समझ में नहीं आया कि
कहना क्या चाहती थी लेकिन
मैं था कि इसके
प्यार के आंचल से बंधा ही
रहा
जो भी है पर
इसे छोड़
इसके बिना फिर मुझे
कहीं पंख फैलाकर उड़ना या
जीना भी नहीं
आया।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001