इश्क़
नज़र कि गुस्ताखियां तो देखो,हमारी बेकरारियाँ तो देखो
चले जा रहे थे वो, हमारी एकटक खामोशियाँ तो देखो।
तनिक मुड़कर भी देखा उसने,हमारी नादानियाँ तो देखो
समझ न पाए इशारा हम,हमारा पागलपन तो देखो।
है ये ऐसा दीवानापन,की कशमकश मे फंसे जा रहे
समझ पाता नही है ये,कैसे इज़हार ए दिल किया जाए।
उसके चेहरे मे जो ये मदमस्त कशिश है,मुझे अपनी ओर खींचती चली जाए।
मेरी बेकरारियाँ ऐसी बढ़ने लगी यारों, जाना था अपने घर उनके पते पर जा पहुंचे यारों
हम दिल का हाल न बयां कर पाए
सामने से आकर उन्होंने ही आकर ,हाथों मे हाथ थामा और हाल ए दिल बयां कर डाला।
खुशी का न था कोई ठिकाना मेरा,मैने भी झट से बाहों मैं उन्हें भर डाला।
भारती विकास(प्रीति)