इश्क़ में हर जंग क़बूल है मुझे जहाँ की हर शर्त मंज़ूर है मुझे
इश्क़ में हर जंग क़बूल है मुझे
जहाँ की हर शर्त मंज़ूर है मुझे
मैंने हर वक़्त बस तुझे ही सोचा है
ख्यालों में भी हर वक़्त मंज़ूर है मुझे
तेरे संग गुज़ारा हर मंज़र ताज़ा है
तेरे संग कल में रहना मंज़ूर है मुझे
ज़िंदा ख़्वाब आज भी तेरे बिन अधूरे है
आज भी फ़रेबी दुनिया का सच मंज़ूर है मुझे
तू बिता मंज़र सही, ज़ख्म आज भी ताज़ा है
मयकश बन तेरे लिए फिरना मंज़ूर है मुझे
आशियाने की तलाश, का भटकता मुसाफिर हूँ
साकी की तलाश में भटकना मंज़ूर है मुझे
भूपेंद्र रावत