इश्क़ में वफ़ा कीजिए
इश्क़ में वफ़ा कीजिये
नही तो ग़मज़दा कीजिए
नज़र में क्यों रखा है अपनी
अब सदा केलिए दफ़ा कीजिए
अंदर ही अंदर क्यों पी रहे हो दर्द
दर्द ज़रा शब्दों में अब बयाँ कीजिए
आसान नही समझ पाना रिवायत
अब आप तो जरा समझा कीजिए
फ़रेब जब इबारत हो उनकी
ज़रा उनसे फ़ासिला कीजिए
अंदाज़ ही क़ातिलाना है उनका
अब खुद को फ़िदा(बलि)कीजिए
गुंज़िदा(चुना हुआ)फूल है बाग़ का
तोड़ कर यूं ना मुरझाया कीजिए
ज़ुल्फें बिखेर रहे है बार बार
ऐसे ज़ुल्म ना ढाया कीजिए
भूपेंद्र रावत
24।08।2017