इश्क़ मशहूर हो गया साहब..!
जबसे वो दूर हो गया साहब,
इश्क़ मशहूर हो गया साहब।
चार पैसे कमा लिए उसने,
आज मग़रूर हो गया साहब।
वक़्त का खेल है ग़ज़ब देखा,
नूर बे-नूर हो गया साहब।
एक पल जो न रह सका वो आज,
नींद में चूर हो गया साहब।
ज़िंदगी जीना खेल थोड़ी है,
चैन काफ़ूर हो गया साहब।
माँ ने देखा मुझे नज़र भर जब,
चश्मे बद्दूर हो गया साहब।
शम्अ से इश्क़ इन “परिंदों” को,
कैसे मंजूर हो गया साहब।
पंकज शर्मा “परिंदा”🕊️