इश्क़ द मारा
क्या बात है हमे बता दिया करो,
चुप रहके इस तरह न सजा दिया करो ।
रहते है हम तेरे इंतज़ार में प्रिये ,
तोड़ी सही पर बात किया करो ।
मना की तू चाँद है और चाँद रोज़ नही आता ,
सितारों की तरह कम लेकिन रोशनी फैलाया दिया करो ।
ना तुम होती न में होता तो ठीक था ,
पर जब मिल गये है तो यू न हाथ छुड़ाया करो ।
देखो सब को इजाज़त है ,
पर हम को न अनदेखा कर जाया करो ।
दिल नही है जलन का गोदाम है,
ओर इस गोदाम में चिंगारी न लगाया करो।
खत्म करना है कहानी तो किताब बंद कर दो ,
पर पनों को पलट -पलट के सताया न करो ।