इश्क़ दुबारा भी होता हैं क्या
कि इश्क दुबारा भी होता है क्या
गर होता है तो, वो इश्क होता हैं क्या
जो साथ छोड़कर चले गए, वो कौन था
जो है ही नहीं, वो भी अपना होता है क्या
साथ जीने मारने के वादे किए थे जिनसे
ये वादे किसी और के साथ भी होता हैं क्या
कदम दर कदम वो साथ चल ना सके
अपना बनाकर भी कोई पराया होता हैं क्या
मजबूरियां उनकी थी, या ना थी कोई
मोहब्बत में कोई ऐसे बेवफा होता हैं क्या
पसंद बार बार बदल लें हर कोई यहाँ
इश्क़ भी कभी मछली बाज़ार होता है क्या
उनके बाद हम किसी और का हो जाये
हम पूछते हैं कभी ऐसा भी होता हैं क्या
रूह तो अब उनके ही साथ चली गईं
जिस्म को भी कभी इश्क होता है क्या