इश्क
हमने तुमको छोड़ा पर,
मिलने की गुंजाइश रखी,
वरना तेरे दिए जख्मों को,
वक्त कहां भर पायेगा।
मैने तुमको इश्क किया शिद्दत से,
तुम क्या जानों,
वरना उन नाजुक लम्हों का,
कीमत कौन चुकाएगा।
हमने तुमको छोड़ा पर,
मिलने की गुंजाइश रखी,
वरना तेरे दिए जख्मों को,
वक्त कहां भर पायेगा।
मैने तुमको इश्क किया शिद्दत से,
तुम क्या जानों,
वरना उन नाजुक लम्हों का,
कीमत कौन चुकाएगा।