इश्क
हँसते हुए चेहरे के पीछे का दर्द,
कौतूहल भरी आँखों की पीड़ा,
मुस्कान की सच्चाई
और सब ठीक है कहने की सार्थकता
जो पढ़ सकें समझ लेना
उसे इश्क है।
एकांत में भी तन्हा न रहने दे,
यादों की खुशबू रोम रोम में भर दें,
ख्याल भी लाये मुस्कान,
अधरों पर जो आये बन के गान,
जो थमे पैरों की थिरकन बन जाये,
समझ लेना वही इश्क है।
जिसकी हर आदत प्यारी लगे,
जिसकी आदत बेकरारी भरे,
जो दूर होकर भी सबसे करीब हो,
जो भले ही नही तुम्हारा नसीब हो,
मोह होने लगे कभी उससे
समझ लेना उसी से इश्क है।