इश्क मेरा बे असर हो रहा है।
इश्क मेरा बे असर हो रहा है।
सनम पत्थर दिल बन रहा है।।1।।
कहता है इश्क होता नही है।
तो तेरे खतों मे क्या लिखा है।।2।।
आकर देखो मेरी किताब में।
तेरा दिया वह गुलाब रखा है।।3।।
क्या कहूं दिल क्यों रो रहा है।
तेरी बे वफाई पर जल रहा है।।4।।
हमें ना आना था तेरे घर पर।
चेहरे से तू खुश ना दिखा है।।5।।
देखो बच्चा ज़िद कर रहा है।
मासूम है चांद को मांग रहा है।।6।।
शिर्क में हदे पार हो चुकी है।
वो इंसा को खुदा कह रहा है।।7।।
नौजवानों को क्या हो रहा है।
वह जन्नत के लिए मर रहा है।।8।।
आंतक को जेहाद कह रहा है।
देखो तो वो गुनाह कर रहा है।।9।।
पेशानी पे ये बूंदे क्यो पड़ी है।
तूमने कुछ तो गलत किया है।।10।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ