इश्क में हम वफ़ा हैं बताए हो तुम।
इश्क में हम वफ़ा हैं बताए हो तुम।
बेवफा बन के नस्तर चलाए हो तुम।।
बात मौसम कि थी तुम बदलने लगे।
दिल के अरमान सारे मिटाए हो तुम।।
चांद पा लूं मुझे ऐसी हसरत ना थी।
चांद पाने की चाहत जगाए हो तुम।।
कुछ कदम हम बढ़े आप घबरा गए।
हांथ गैरों से जाकर मिलाए हो तुम।।
आज कहते हो डरता हुं रुसवाई से ।
इस बहाने में नीयत छिपाए हो तुम।।
चंद लोगों ने तुमको है अगवा किया।
झूंठा किस्सा भी ऐसा सुनाए हो तुम।।
मेरी चाहत में ऐसी कमी क्या रही।
गैर कदमों में खुदको बिछाए हो तुम।।
सत्येन्द्र पटेल ‘प्रखर ‘