इश्क में सताया भी बहुत है
इश्क में सताया भी बहुत है
इश्क में रुलाया भी बहुत है
बहती रही कश्ती पानी में
कश्ती को डुबाया भी बहुत है
आग को लगाया भी बहुत है
जंगल में फैलया भी बहुत है
सपने दिखाकर रातों नींदों में
राह से भटकाया भी बहुत है
आब -ऐ – तल्ख पिलाया भी बहुत है
तिश्र्गी ऐ आब में तरसाया भी बहुत है
आग(वासना)की आगोश में सुलाकर
आश्रा के लिए भगाया भी बहुत है
जख्म देकर घायल कर गए है
दर्द में रुलाया बहुत है
खिदमत में लगे है उनकी
जिनका ख्याल दिल में आया बहुत है
गुनाह कबूल है उनके सारे आज तक
क्यूंकि उन्होंने भूपेंद्र को गिराया बहुत है
भूपेंद्र रावत
23/08/2017