इश्क में बेचैनियाँ बेताबियाँ बहुत हैं।
पेश है पूरी ग़ज़ल…
इश्क में बेचैनियां बेताबियां बहुत हैं।
तुम भी कर के देखो इसमें नादानियां बहुत हैं।।1।।
यार है तो यूं खुदा भी पास लगता है।
गम ए इश्क में अशिको के विरानियां बहुत है।।2।।
मोहब्बत हो तो हर शाम महफिल है।
बिना दिले यार के इश्क में तन्हाइयां बहुत है।।3।।
सुना है इंसा प्यार में बेखौफ होता है।
यूं मोहब्बत में दिलो की मनमानियां बहुत है।।4।।
हमें खुद की नजरों में थोड़ा रहने दो।
पहले ही ले ली तुम्हारी मेहरबानियां बहुत है।।5।।
और मैला ना करो जमीर को अपने।
यहां पहले से ही दिले बदगुमानियां बहुत है।।6।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ