Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 Jul 2022 · 2 min read

‘कई बार प्रेम क्यों ?’

प्रेम दुबारा क्या तिबारा चौबारा भी हो जाता है। पर तब जब वो अधूरा मर जाता है या मार दिया जाता है। रूह या आत्मा भटकती रहती है एक ही शरीर में रहती है फिर भी भटकती रहती है। क्योंकि जब तक शरीर ठीक ठाक रहता है तब तक आत्मा उसे नहीं छोड़ती। पर प्रेम की पूर्णता के लिए वो भटकती है जब तक उसे वास्तविक प्रेम नहीं मिल जाता। जब उसे सच्चा प्रेम मिल जाता है तब वो तृप्त होकर भटकना बंद कर देती है। कुछ को तो उम्रभर भटकना पड़ता है बल्कि मृत्यु के बाद भी। वास्तविक प्रेम तो एक ही बार होता है। दुबारा तिबारा इश्क का अर्थ है रूह को उसके मुताबिक रूह नहीं मिल रही।
जैसे हम घर का बाहरी रूप रंग देखकर पसंद तो कर लेते हैं पर जब उसके अंदर प्रवेश करते हैं तो अगर हमें वह अपने अनुरूप नहीं लगता तो हम दूसरे की तलाश में निकल पड़ते हैं।ऐसे ही दो आत्मा जब गुणधर्म में विपरीत होती हैं तो उनका मेल नहीं हो पाता और वो फिर भटकने लग जाती हैं। आत्मा को रहने के लिए शरीर रूपी स्थान की आवश्यकता होती है। जिनकी आत्मा या रूहें एकाकार हो जाती हैं वो दूर दूर रहकर भी सूक्ष्म रूप से एक दूसरे से जुड़ी रहती हैं। उन्हें न शरीर की आवश्यकता होती है न बंधन की । वे एक दूसरे के शरीर में सूक्ष्म रूप में प्रवेश करती रहती हैं।यही प्रेम है। प्रेम बदलता नहीं है । जो बदल गया वो तलाश मात्र है उसे प्रेम में मत गिनिए।
ऐसे स्त्री पुरुष से मैं परिचित हूँ युवावस्था में उन्हें एक दूसरे से प्रेम हो गया। माता-पिता को विवाह मंजूर नहीं था इसलिए उन दोनों ने आजीवन अविवाहित रहकर प्रेमी प्रेमिका के रूप में रहने का निर्णय लिया। एक हरिद्वार और एक दिल्ली। किसी अन्य से भी विवाह नहीं किया। 20 साल पहले की बात है तब वो अधेड़ उम्र के थे। दो चार साल में वे एक दूसरे से मिल लेते थे । बस दोनों अपनी अपनी जॉब करते थे । बीमारी में एक दूसरे की सेवा करने अवश्य पहुचते। ऐसे ही अलग रहकर जीवन बिता दिया उन्होंने।

(ये विचार मेरे अपने हैं)

-Gn

Language: Hindi
Tag: लेख
1 Like · 391 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Godambari Negi
View all
You may also like:
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
मां शारदे कृपा बरसाओ
मां शारदे कृपा बरसाओ
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
श्री राम के आदर्श
श्री राम के आदर्श
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
"ईमानदारी"
Dr. Kishan tandon kranti
उस जैसा मोती पूरे समन्दर में नही है
उस जैसा मोती पूरे समन्दर में नही है
शेखर सिंह
★डॉ देव आशीष राय सर ★
★डॉ देव आशीष राय सर ★
★ IPS KAMAL THAKUR ★
"जो खुद कमजोर होते हैं"
Ajit Kumar "Karn"
हमारा अपना........ जीवन
हमारा अपना........ जीवन
Neeraj Agarwal
ॐ
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
लपेट कर नक़ाब  हर शक्स रोज आता है ।
लपेट कर नक़ाब हर शक्स रोज आता है ।
Ashwini sharma
मन की आंखें
मन की आंखें
Mahender Singh
वो दौर अलग था, ये दौर अलग है,
वो दौर अलग था, ये दौर अलग है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
वर्षा का तांडव हुआ,
वर्षा का तांडव हुआ,
sushil sarna
नादान था मेरा बचपना
नादान था मेरा बचपना
राहुल रायकवार जज़्बाती
रक्षा बंधन
रक्षा बंधन
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
श्री श्याम भजन 【लैला को भूल जाएंगे】
श्री श्याम भजन 【लैला को भूल जाएंगे】
Khaimsingh Saini
जिक्र
जिक्र
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
राहें  आसान  नहीं  है।
राहें आसान नहीं है।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
*कभी पहाड़ों पर जाकर हिमपात न देखा क्या देखा (मुक्तक)*
*कभी पहाड़ों पर जाकर हिमपात न देखा क्या देखा (मुक्तक)*
Ravi Prakash
मासूम कोयला
मासूम कोयला
singh kunwar sarvendra vikram
जिस यात्रा का चुनाव
जिस यात्रा का चुनाव
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
3717.💐 *पूर्णिका* 💐
3717.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
अगीत कविता : मै क्या हूँ??
अगीत कविता : मै क्या हूँ??
Sushila joshi
किस कदर
किस कदर
हिमांशु Kulshrestha
Freedom
Freedom
Shyam Sundar Subramanian
पीड़ाएँ
पीड़ाएँ
Niharika Verma
कविता -
कविता - "सर्दी की रातें"
Anand Sharma
हे ईश्वर
हे ईश्वर
Ashwani Kumar Jaiswal
आप हो न
आप हो न
Dr fauzia Naseem shad
আগামীকালের স্ত্রী
আগামীকালের স্ত্রী
Otteri Selvakumar
Loading...