इश्क कोई बुरी बात नहीं
जब इश्क होता है हमें
मैं से हम बन जाते हैं
अस्तित्व मिटता नहीं
हम पूर्ण हो जाते हैं
खोकर सबकुछ इश्क में
जो सुकून मिलता है
समझ जाते हैं सब
जब तेरा चेहरा खिलता है
जो भी है इश्क में
वही असल इंसान है
इश्क के बिना तो
ये जीवन वीरान है
इतना समझ लो
हो इश्क में तुम अगर
तुम पर होती है
कायनात की नज़र
इश्क कोई बुरी बात नहीं
डर किस बात का है तुम्हें
मिल अपने महबूब से बिंदास
कोई कुछ कहेगा नहीं तुम्हें
डर दुश्मन है इश्क का
होगा इश्क तो भाग जायेगा
कुछ नहीं रहेगा याद फिर
हरपल महबूब ही याद आएगा
बहुत खुशी देता है हमें ये तो
होने का अहसास इश्क का
देखकर खिला चेहरा दोस्तों का
मैं दीवाना हो गया हूं इश्क का।