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20 Jan 2024 · 1 min read

इश्क की रूह

इश्क की रूह से हमनशी हो गए,
जिसको चाहा था वो अजनबी हो गए ।

दिन रात का सफ़र हमने देखा न था
तन्हा जिंदगी को कभी झेला न था,
हम तो एक हो गए दो काया लिए
दिल की उलझन के संग वो गरीब हो गए । इश्क की रूह से…

मंजिलों तक कभी जिनको पहुंचाया था,
सोचते थे कभी जिसको हमसाया था,
रात उनके बिना गुजरी आहें भरी,
वो भी होकर ख़फा, गैरों के क़रीब हो गए । इश्क की रूह से…

जिद्द करके उन्होंने हमें पाया था,
पाकर के हमें ही तब झुठलाया था,
हरकतें निरंतर उनकी बढ़ती गईं,
पाया छुटकारा, फिर से हम गरीब हो गए । इश्क की रूह से…

इश्क की रूह से हमनशी हो गए,
जिसको चाहा था वो अजनबी हो गए ।

Language: Hindi
1 Like · 769 Views
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